रिश्तों की राजनीति- भाग 3
भाग 3
अगले दिन सान्वी अभिजीत के साथ उसकी बाइक पर कॉलेज जाने की तैयारी कर रही होती है। तभी शरवरी सान्वी को बुलाकर उंसके कान में कहती है…मेरी अच्छी सान्वी अगर तू चाहती है मैं तेरी वहिनी(भाभी) बन जाऊं तो तू आज अपनी सहेली रिया के साथ कॉलेज चली जा और अभिजीत को आज मुझे छोड़ने दे बाइक पर कॉलेज। वैसे भी मेरा कॉलेज तुम लोगों के कॉलेज के रास्ते में ही पड़ता है।
सान्वी मुस्कुराकर कहती है…वैसे मैं चाहती हूँ तू मेरी वहिनी बने लेकिन इतना ज़्यादा भी नहीं चाहती, बदले में कुछ मिले तो सोचूँ इस बारे में।
शरवरी मुँह बनाते हुए कहती है….अभी से नंदुबाई(ननद) के नखरे सहने पड़ रहे हैं मुझे, चल ठीक है बड़ी वाली डेयरी सिल्क वाली चॉकलेट पक्की।
सान्वी शरवरी के गले लगते हुए कहती है….देख मेरा ड्रामा।
अभिजीत सान्वी को कॉलेज चलने के लिए आवाज़ लगा रहा होता है लेकिन सान्वी यह कहकर मना कर देती है कि अभी-अभी रिया का फोन आया है,उसने अपने साथ कॉलेज चलने के लिए कहा है, उसे कुछ जरुरी बात करनी है मुझसे।
अभिजीत…..वो तो तुम दोनों कॉलेज में भी कर सकती हो।
सान्वी चिढ़ते हुए कहती है….ओह हो दादा आप जाओ ना, सब मुझे चिढ़ाते हैं कॉलेज में कि तू क्या छोटी बच्ची है जो अपने दादा के साथ उनकी बाइक पर बैठकर आती है। मैंने सोचा है अब से मैं रिया के साथ ही जाऊंगी कॉलेज। आप आज शरवरी को छोड़ दो न कॉलेज।
अभिजीत बाइक स्टार्ट करते-करते कहता है….उस बिल्ली को मैं नहीं ले जा रहा अपने साथ, जब देखो बोल-बोलकर दिमाग चाट जाती है।
जैसे ही अभिजीत बाइक चलाने वाला होता है तभी शरवरी उसकी बाइक पर आकर बैठ जाती है और उसे प्लीज-प्लीज कहकर बाइक चलाने के लिए कहती है।
अभिजीत और शरवरी बाइक पर चले जाते हैं। सान्वी और रिया बस पकड़कर चले जाते हैं।
शरवरी को अभिजीत का साथ बहुत पसंद था और वो चाहती थी अभिजीत बिना कहे उसके मन की बात समझ ले। लेकिन अभिजीत के मन में शरवरी को लेकर कुछ भी नहीं था। वो महज़ उसके लिए उंसके मामा की बेटी थी और बचपन की दोस्त।
इधर अभिजीत अपने कॉलेज में व्यस्त हो जाता है। एक के बाद एक उसके लेक्चर्स होते हैं। उधर सान्वी और रिया भी अपने लेक्चर्स में व्यस्त होते हैं। सान्वी को लाइब्रेरी में काम होता है, वो वहाँ चली जाती है और रिया कैंटीन में।
सान्वी लाइब्रेरी में अपने कोर्स की किताब देख रही होती है, तभी देखती है अक्षय लाइब्रेरी में बैठा कुछ पढ़ रहा होता है। अचानक से दोनों की नज़रे मिलती हैं और अक्षय दूर से हाय कहता है। सान्वी भी उसे धीरे से हाय कहती है। सान्वी लाइब्रेरी से अपने कोर्स की किताब इशू करवाकर सीधा रिया से मिलने कैंटीन चली जाती है।
सान्वी रिया को बताती है कि उसने अभी लाइब्रेरी में अक्षय को देखा था, वो कोई किताब पढ़ रहा था लाइब्रेरी में बैठकर। उसने मुझे हाय कहा तो मैंने भी उसे हाय कर दिया।
रिया कहती है लगता है लड़का पढ़ाकू है तभी लाइब्रेरी में बैठकर पढ़ रहा था, वरना आजकल कॉलेज में लाइब्रेरी में बैठकर कौन पढ़ता है?
सान्वी रिया की हाँ में हाँ मिलाती है। वो रिया को बताती है कि अक्षय ने उसे अपना फोन नंबर दिया था, कहा था, कभी कोई परेशानी हो कॉलेज में तो वो सीधा उसे फोन कर सकती है।
रिया हैरान होकर कहती है बड़ा मेहरबान हो रहा है अक्षय तुझ पर। संभल कर रहना, अक्षय एम.एल.ए जगताप पाटिल का बेटा है। बड़े लोग हैं और ऊपर से राजनीती वाले, कहते कुछ और हैं और करते कुछ और हैं।
सान्वी मुस्कुराकर कहती है…. वो जो भी हो मुझे उससे क्या मतलब। मुझे उसने शर्मिंदा होने से बचाया, इसलिए बस मैं उसकी आभारी हूँ। मैं एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ और मुझे अपनी सीमाएं मालूम है।
रिया को अच्छा लगता है सान्वी की बातें सुनकर। सान्वी का तो पता नहीं वो कितनी प्रभावित थी अक्षय से लेकिन रिया के दिल में अक्षय के लिए कुछ-कुछ होने लगा था। खैर वही क्या, कॉलेज की हर लड़की उसके पीछे पागल थी, देखने में इतना हैंडसम जो था वो।
अभिजीत का एक ही लक्ष्य था अच्छे नम्बरों से कॉलेज की पढ़ाई खत्म करना और बैंक की नौकरी की परीक्षा पास करना। कॉलेज की पढ़ाई के साथ-साथ वो बैंक की परीक्षा के लिए भी कोचिंग ले रहा होता है। अभिजीत के कुछ खास बड़े सपने नहीं थे। उसे चाहिए होती है एक सरकारी नौकरी और हँसता खेलता परिवार। इससे ज्यादा की चाहत उसने कभी नहीं की थी।
कॉलेज में उसकी छवि एक गंभीर छात्र की थी। पढ़ाई के साथ-साथ उसे थिएटर का भी शौक होता है। कॉलेज में हुए कई नाटकों में उसने अभिनय के साथ-साथ निर्देशन भी किया था। बाकि कॉलेज की चुनावी राजनीति से वो दूर रहता था। उसे राजनीति और राजनीति से जुड़े लोग बिल्कुल भी पसंद नहीं थे। उसकी नज़र में सब राजनेता एक ही थाली के चट्टे-बट्टे थे। जो चीजें, जो लोग उसे गुस्सा दिलाते थे, उनसे जितना सम्भव हो वो दूर रहने की ही कोशिश करता था।
यह भी किस्मत का अजब खेल है जिस चीज़ से वो दूर भागना चाहता था, किस्मत ना चाहते हुए भी उसे उसी दिशा में ले जा रही थी।
एक दिन पहले कॉलेज में सान्वी के साथ हुई घटना के बारे में उसे कुछ भी नहीं मालूम था। कल उसकी क्लास के स्टूडेंट्स का घूमने का प्रोग्राम था, शायद इसलिए किसी को इस बात का पता नहीं चला। अभिजीत तबियत खराब होने के कारण ना घूमने गया, ना ही कॉलेज गया। घर में भी उसे किसी ने इस बात की भनक नहीं होने दी थी। इसलिए वो उसकी बहन की जिंदगी में इस अनचाही दस्तक से अंजान था।
❤सोनिया जाधव
Sandhya Prakash
26-Apr-2022 10:09 PM
Bahut khoob
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Reyaan
26-Apr-2022 04:04 PM
Very nice
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वैभव
26-Apr-2022 12:50 AM
Good story
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